Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
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नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी Shiv chaisa प्रकार का कष्ट नहीं रहता।
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
महाभारत काल से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ जो यह पाठ करे मन लाई ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥ पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
On Trayodashi (13th working day in the darkish and brilliant fortnights) 1 ought to invite a pandit and devotely make choices to Lord Shiva. Those who speedy and pray to Lord Shiva on Trayodashi are generally nutritious and prosperous.
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
शिव चालीसा का पाठ करने से आपके कार्य पूरे होते है और मनोवांछित वर प्राप्त होता हैं।